दूसरे मृत्यु के पहले
पहले मृत्यु को टालना असंभव था वो अनायास घटित हुआ, वो हर पल घटित हो रहा है ।
धीरे धीरे कठिन जगहें आये फोडेसा सा उसे महसूस किया जा सकता था मगर आईने में भी उसे देख पाना उपहास के रुदन का बर्फ होना था।
आदतन आलस या निदान से बचाव कोई भी कारन हो ! पहले मृत्यु का दुःख नहीं था या उसे पा लेनेकी घृणा भी नहीं थी क्रांति के लिए चड्डी सम्भलनेसे ज्यादा कोई जद्दो -जहद भी नहीं थी।
दूसरे मृत्यु के पहले मगर कुछ तैयारियां कर लेना चाहता हूँ, मौका मिलेगा इस बात का ? शायद !अभी बस दिया तो जला ही लेता हूँ।
अपनेही पार्थिव की चिंता सबसे बड़ी बेवकूफी है उसके लिये भी कोई चाह्ता है की मै निवेश करू।
आखिर किस बात की चिंता करू ? की चिंतन का क्या होगा ? चित्त का क्या होगा ? या चिता का क्या होगा ?
दूसरे मृत्यु के पहले मगर कुछ तैयारियां कर लेना चाहता हूँ। मगर क्या समान बाँध लू ? प्यास बची न रहे इस का प्रबंध करू या पानी से ही उत्तर पुछु ?
जैसे दुर्घटना का सुनियोजन करना बीज में फूल की महक ताजा है उसे गिरफ्त में कर लेना और फिर मुस्कुराना, खुद के विश्वास और खुदही को दिए धोके को आमने सामने खड़ा कर देना।
दूसरे मृत्यु के पहले मगर कुछ तैयारियां कर लेना चाहता हूँ , ये चाहत तो है मगर पहले मृत्युसे अभी मुक्ति कहा मिली है।