हलफनामा
यहाँ आते ही यह महसूस हुआ मेरे भीतर जिंदगी जीने की चाह पहाड़ से भी बड़ी है. धुँआ भरे फेफड़ों में उलझन की रातें, एक चाँद की कश्ती सिसककर चलती...
हादसे
एक बार घर की दिवारोने ये सोच लिया और वो खुले आयतो चोकोनोपे हावी हुई. सब बंद हो गया दरवाजे, खिड़किया, रोशनदान सबकुछ छतसे जो दो चार किरणे...
मेरी कविता
मेरी कविता हा! हम सब अब तैयार है कुछ अच्छा सुनने के लिए हर तरह के शोरो गुल के मुह बांध कर हम आये है मन में बैठे खरगोश को जैसे हम गाजर...
अनंत -
कल्पना Image of Imagining the imagination. कल्पना! तुझसे होकर गुजरता हूँ, या तुमसेही मिलता हूँ, या मेरे भीतर तुम्हारा जन्म होना। या...