मुझे नहीं पता
यात्रा जारी है। आँख खुली है। पेड़, पहाड़,बादल,समुन्दर, नाव आगे बढ़ रही है, पतवार चलाता जाता हूँ, टटोलताहू जेब, शायद उसने लिख छोड़ा हो "कहा पोहोचना है"। जेब मेरी खाली है। क्या अनजानेमें उसने मुझे इस यात्रा पर भेजा है ? न पानी पर न इस नाव में कहींपर उसका नाम लिखा नहीं है।