ये हुनर तूने सीखा कहासे ?
वो हसता रहा आदतन या मजूरिसे नहीं ! उसने हसना ही ठान लिया था, ऐसा भी कुछ नहीं। दुःख उसे पूरी तरह याद है , वो समय पर जख्मोंकी पट्टी भी बदलता है।
ना उसके दांत नकली है, जो असली है वो भी बड़े नहीं है।
न उसके चेहरेकी मांसपेशिया खींची हुई है , ना उसने कॉस्मेटिक सर्जरी की है।
कही वो कवी तो नहीं ? अरे कवी तो हमेशा रोतें रहते है।
तो जरूर महाशय कुंवारे है, हो सकता है ! मगर ये बस हमारी राय है।
फ़क़ीर हो सकता है ! जिसके पास खोने के लिए कुछ भी नहीं।
यकींन नहीं होता की ये जिन्दा है, मोम का पुतला तो नहीं जो सजीव दीखता है ?
इतना खुश है ! जरा पूछो उससे अब तक कहा रहता था ? क्या काम करता था ?
सुना है होली के रंग बनता था. रंगों के लिए गर्मियोंकी दोपहरीमे जंगल घुमा करता था। पलाश के फुल पेड़ोंसे उतारता था और हसता रहता था।