top of page

शुक्रिया!


शुक्रिया! अब सवाल सवाल न रहे।

हरे घास पर बुँदे रह गई कुछ रात कौन उदास यहां बैठा था ?

मैंने रंगोंमें उँगलियाँ डुबाई ये मोर कहा उड़ चला था ?

सफ़ेद पर्दे है, या है कफ़न खिड़कियों ने किसे गुजरते देखा था?

है हवा जहरीली, उसकी खुशबु आती है, रगों में दौड़ कर आग जलती कहा है ?

मेरे सवाल ख़त्म हुए, जवाब चाहता नहीं ये कोनसी धुप है जो खिली है फूलों की तरह ?


Featured Posts
Check back soon
Once posts are published, you’ll see them here.
Recent Posts
Archive
Search By Tags
No tags yet.
Follow Us
  • Facebook Basic Square
  • Twitter Basic Square
  • Google+ Basic Square
bottom of page