एक दृश्य जो मैंने देखा था
तुम्हे खत में लिख के भेजा है
बात सुबह की है ,
वहा जैसा सूरज
और वहा जैसा
आसमान यहां भी है
मगर ये अलग है।
खत पढ़कर तुम जवाब नहीं दे पाए
भाई माफ़ करना मैंने किरणों का अनुभव किया
तुम्हे सिर्फ शब्द भेजे है।
बताना तो यहां के सरोवर के बारें में भी था
मगर इस ख्याल से भी पोस्टकार्ड गिला हो जायेगा,
इसी लिए सिर्फ इतना लिखा तुम्हारी याद आती है।
किसी ऊंचे पहाड़की चोटी पे अकेले खड़ा होना
और खाई का अंदाजा लगाना सुबह का महत्वपूर्ण
काम है। यहां भी माँ की आवाज गूंजती है ,
" गलती करने के पहले तुम्हारा मन पर्याय मांगता है "