तर्क
कितने दिनोसे तितलियाँ नहीं देखि
जी रहा हूँ फिर भी
क्या ये बदलाव नहीं?
अपने हाथ के चाय के कप में उबला पानी
टी ब्याग से रंग बदलता है, ये कोई दार्शनिक समीक्षा नहीं
पी रहा हूँ फिर भी
स्वादका लेना देना जीभसे है
बेचारे पेटको इससे कोई गिला शिकवा नहीं।
तो मन बागीचो के फुलोको इतना सराहते हो
हर पौधे का नाम तो तुम्हे पता नहीं
ये प्रश्नोंपर प्रश्न पूछते रहतेहो
क्या विश्वास की कोई जरूरत नहीं
कारन हो या ना हो
कोई तर्क न करे
ये इंसान का स्वभाव नहीं।