मेरा घर
दो दरवाज़ों को जोड़ता एक घेरा है मेरा घर, मेरा घर, दो दरवाज़ों के बीच है उसमें किधर से भी झाँको तुम दरवाज़े से बाहर देख रहे होगे ...
आंखोंपर लगी झाप
तुम्हारी पलकों का काँपना क्षण क्षण में मानो तुम उतरतेहो किसी गहरी सोचमे, या तुम्हे दीखता है क्षीरसागर ? जहा तेज दौड़ कर पोहोचना, सपना...
पूर्ण विराम
जब हमारे अस्ति की नियति पूर्ण होगी, ढलना साँझ नहीं, रात पूरी होगी। बिखरे हुए कण कांच के बिखरनेसे पहले क्या थे ? आकर के परिचय की कहानी...
मरीन ड्राइव पर मौन
क्षण में विश्चिन्न होता है स्वतः "क्षण" क्षणमे जो था अभी, अभी खो जाता है। गहरी नींद में खो जाता है स्वप्न खुली आँख का, असली आँखे...
बारिश नहीं रुकी।
बारिश नहीं रुकी। कल की रात जब बारिश बढ़ती रही उस आवाज में मैंने बस सुना था पानी का गिरना। वो न चीख थी, न ख़ामोशी एक अजीब सपना था अधांतर...
हलफनामा
यहाँ आते ही यह महसूस हुआ मेरे भीतर जिंदगी जीने की चाह पहाड़ से भी बड़ी है. धुँआ भरे फेफड़ों में उलझन की रातें, एक चाँद की कश्ती सिसककर चलती...
हादसे
एक बार घर की दिवारोने ये सोच लिया और वो खुले आयतो चोकोनोपे हावी हुई. सब बंद हो गया दरवाजे, खिड़किया, रोशनदान सबकुछ छतसे जो दो चार किरणे...
मेरी कविता
मेरी कविता हा! हम सब अब तैयार है कुछ अच्छा सुनने के लिए हर तरह के शोरो गुल के मुह बांध कर हम आये है मन में बैठे खरगोश को जैसे हम गाजर...
अनंत -
कल्पना Image of Imagining the imagination. कल्पना! तुझसे होकर गुजरता हूँ, या तुमसेही मिलता हूँ, या मेरे भीतर तुम्हारा जन्म होना। या...