कैसे सहें बारिश, तुम ही बतादो!
कैसे सहें बारिश, तुम ही बतादो! छतों का बोझा कन्धोपर सीलन से भीगी दीवारें खपरेलोंके बिच कांच लगाकर मैंने रोशनदानोसे और रौशनी की मांग की!...
हिम्मत तो वो भी करता है
हिम्मत तो वो भी करता है जो नाबालिक है और आत्मघाती हमले की तैयारी करता है। हिम्मत वो माँ भी करती है जो अनजाने के हाथ आपना बच्चा किराये पे...
ये हुनर तूने सीखा कहासे ?
वो हसता रहा आदतन या मजूरिसे नहीं ! उसने हसना ही ठान लिया था, ऐसा भी कुछ नहीं। दुःख उसे पूरी तरह याद है , वो समय पर जख्मोंकी पट्टी भी...
एक बात समझ चूका हूँ.
जब things to do की list ख़त्म नहीं होती, वो सुस्तिले अजगर की चिकनी चमड़ी सी फ़ैल जाती है। मेजसे पलंगसे ,बरांदेसे, लगता है। "अधूरा है "...
मोर्चा
प्रारब्ध, परमार्थ, और प्रयोजन की खोज हमसे बेहतर हरकोई कर लेता है। पंछी गाते है, और सांप डस लेता है. चीटियां कतार बना कर चलती है, मगर...
मुझे नहीं पता
यात्रा जारी है। आँख खुली है। पेड़, पहाड़,बादल,समुन्दर, नाव आगे बढ़ रही है, पतवार चलाता जाता हूँ, टटोलताहू जेब, शायद उसने लिख छोड़ा हो...
कारण
मेरे होने का प्रमाण मेरी परछाई है। अपनेही छाव के उस लचीले आकर का विस्तार सूरज की दिशापर निर्भर होता है। मगर "मेरे" आकुंचन और प्रसरण...
समाधीन
संतुष्टि पर सारे आविष्कार ख़त्म होते है, और सारे आकर्षण भी। जिज्ञासा बुझते अंगारे होकर रहती है, कोई नतीजा कोई अनुमान राखमे उगता नहीं।...
आइंस्टाइन के सिधान्तोके पहले।
अनायास कुछ घटता है, या सब भाग्य का लेखा है ये नहीं पता मगर ये समझ में आता है, हमारा चुनाव एक सांकेतिक भ्रम है। हम न व्यक्ति चुनते है ...
लंगोट और ब्रम्हांड
कोण था वो जो आपने आस्तित्व की खोज में निकला ? जिसने पहले अपने होने पर प्रश्न उठाये और फिर आस्तित्व वर प्रश्न उठाये। आपने आध्यात्मिक...